IISGNII गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः

श्रीशुक-सुधा-सागर (Shri Shuk Sudha Sagar) Book Code: 0025

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श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग का तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इस में साधन-ज्ञान, सिद्ध-ज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणा दायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। कलि सन्तरण का साधन-रूप यह सम्पूर्ण ग्रन्थ-रत्न मूल के साथ हिन्दी-अनुवाद, पूजन-विधि, भागवत-माहात्म्य, आरती, पाठ के विभिन्न प्रयोगों के साथ उपलब्ध है। सचित्र, सजिल्द।

Shrimad-Bhagavat Mahapuran has occupied its place as a crest-jewel among all the Indian literature. It is a step towards the path of devotion as the same had been recited to king Parikshit by the Lord Shukdev. Its each Shloka is full of fragrance with Shri Krishna's love. This voluminous didactic doctrine contains the means of knowledge, a pathway to devotion. With pictures, Bound.

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