सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित यह उपनिषद् बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसकी शैली अत्यन्त क्रमबद्ध और युक्तिपूर्ण है। इसमें तत्त्वज्ञान और तदुपयोगी कर्म तथा उपासनाओं का बड़ा ही सुन्दर वर्णन है। सानुवाद, शांकरभाष्य़।